लाल कृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न, अयोध्या राम मंदिर स्थापना में है विशेष योगदान

 लाल कृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न, अयोध्या राम मंदिर स्थापना में है विशेष योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की है. कि  भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. पीएम मोदी ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी है, एक्स पर पीएम ने कहा, “मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे बात भी की और उन्हें यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी.”

पी.एम मोदी ने आगे कहा, “हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है. उन्होंने गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी देश की सेवा की है. उनका संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरा रहा है.” लाल कृष्ण आडवाणी भाजपा के एक काफी पुराने नेता रहे हैं.

अयोध्या राम मंदिर स्थापना में है विशेष योगदान

राम मंदिर मुद्दे को हिंदुत्व की राजनीति की मुख्यधारा में लाए अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा 500 वर्षों से भी अधिक पुराना था। पहले मुगल और बाद के अंग्रेजों के शासनकाल में भी यह मुद्दा सर्व हिंदू समाज का मुद्दा नहीं बन सका था। स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस की सरकारों ने भी राम मंदिर मुद्दे में एक प्रकार से हाथ न जलाने का अघोषित निर्णय ले रखा था। लेकिन1990 में आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा ने राम मंदिर मुद्दे को हिंदू समाज के अधिकांश घरों तक पहुंचा दिया था। “राम भारत की आस्था हैं” इस भाव का देशव्यापी जागरण आडवाणी की रथयात्रा को जाता है। समस्त धर्मगुरुओं ने जो कार्य दशकों में नहीं किया था वह आडवाणी की राम रथयात्रा ने कर दिया था। आडवाणी की उपस्थिति ने राम मंदिर मुद्दे को सामाजिक वैधता प्रदान की जिसकी मजबूत नींव पर पत्थर रखकर आज हिंदूवादी राजनीति अपने चरम पर है। 

लालकृष्ण आडवाणी बायोग्राफी 

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची, में हुआ था और कराची  से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली, उनके देशभक्तिपूर्ण आदर्शों ने उन्हें मात्र 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. तब से उन्होंने अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया है। 

1980 में  बीजेपी की स्थापना के बाद से श्री लालकृष्ण आडवाणी ने सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है-

1936-1942 सेंट पैट्रिक स्कूल, कराची में मैट्रिक तक पढ़ाई पूरी की. 

1942 स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए.

1942 भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दयाराम गिदुमल नेशनल कॉलेज, हैदराबाद में शामिल हुए.

1944 कराची के मॉडल हाई स्कूल में शिक्षक के रूप में नौकरी की.

12 सितम्बर, 1944 भारत -पाकिस्तान बंटवारे  के बाद सिंध से दिल्ली आ गए.

1947-1951 कराची शाखा में आरएसएस सचिव के रूप में अलवर, भरतपुर, कोटा, बूंदी और झालावाड़ में आरएसएस कार्य का आयोजन किया.

1951 की शुरुआत में अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता के लिए दिल्ली स्थानांतरित हो गए.

1958-1963 दिल्ली राज्य जनसंघ के सचिव पद पर रहे. 

1960-1967 जनसंघ की राजनीतिक पत्रिका ऑर्गनाइज़र में सहायक संपादक के रूप में शामिल हुए.

अप्रैल 1970 राज्य सभा में प्रवेश किया दो साल बाद भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए.

26 जून 1975 आपातकाल के दौरान बैंगलोर में गिरफ्तार किया गया और अन्य बीजेपी सदस्यों के साथ बैंगलोर सेंट्रल जेल ले जाया गया. 

मार्च 1977 से जुलाई 1979 केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद संभाला और मई 1986 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्टी अध्यक्ष बनें. 

मई 1986 भाजपा के पार्टी अध्यक्ष के रूप में घोषित किए गए. 

3 मार्च 1988 दोबारा भाजपा के पार्टी अध्यक्ष चुने गए, उसके बाद भाजपा सरकार में गृह मंत्री का पद संभाला.

1999 मई 2004 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, गृह मंत्रालय और 2002 मई 2004 उप प्रधान मंत्री पद पर रहे. 





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